Saturday, November 7, 2015

माहौल

माँ का मांस खाने की दौड़ लगी है
पुरस्कार लौटने की हौड़ लगी है
तथाकथित बुद्धिजीवीयों का दम घुट रहा है
देश का माहौल असहिष्णु हो रहा है।
क्यो लोग सच को सच कह रहे हैं
बम और बंदूक वालों को आतंकवादी कह रहे हैं
मजहब  के आधार पर भेद भाव हो रहा है
देश का माहौल असहिष्णु हो रहा है।
जो सिपाही और सैनिक मरे वो गलत भी तो हो सकते हैं 
पाकिस्तान से आने वाले भटके हुए मासूम भी हो सकते हैं
एन काउंटर मे शरीफों का कत्ल हो रहा है
देश का माहौल असहिष्णु हो रहा है।
मेरे पास लौटने को कोई पुरस्कार नहीं है
मेरे अयोग्यता है की मेरा मन चाटुकार नहीं है
जो पहले से नंगा था फिर से नंगा  हो रहा है
देश का माहौल असहिष्णु हो रहा है।
कुछ लोग शब्दों से व्यभिचार कर लेते थे
जमीर बेच कर पेट भर लेते थे  
रीढ़ विहीन लोगों का कद घट रहा है
देश का माहौल असहिष्णु हो रहा है।
कोई तो बोलो, की देश रहेगा तो तुम रहोगे
जब तक यह असहिष्णुता है बोलते रहोगे
इस नौटंकी का क्या वजीफा मिल रहा है?
देश का माहौल असहिष्णु हो रहा है।

·       डॉ बजरंग सोनी

Thursday, February 11, 2010

Shivratri

Bhagwan Ki Aradhana Pratikatmak na ho. Insan ka bhala hi prabhu ki pooja hai. Ham jahan bhi hai andhero se prakash ki aur chale. Kuch naya soche, naya kare, jisase amm admi ko kuch rahat mile. Uski jindagi ko bhi koi arth mile.
Achhe logo ka pariwar banaye
Dr Bajrang Soni